Thursday, August 23, 2007

ये कैसी मुहब्‍बत...........

बात दिल्‍ली शहर की है, देश की राजधानी, जो विकास के मामले में अग्रणी है। लेकिन महिला व पुरूष के मामले में उस शहर की सोच भी देश के बाकि हिस्‍सों की तरह ही है। 13 अगस्‍त को हुई एक घटना ने दिल को हिला कर रख दिया और इस घटना ने मर्दवादी मानसिकता को फिर उजागर किया।
चांदनी नाम की एक लड्की को उसके पडौस में ही रहने वाले दो लड्कों ने जिंदा जला डाला। 16 साल की चांदनी अपनी मां के साथ रहती थी। वह अभी कक्षा 8 में पढती थी। उसकी जिन्‍दगी सामान्‍य चल रही थी, लेकिन कुछ समय से नौशाद नाम का लड्का उसे आये दिन परेशान करता था। नौशाद उसके पडौस में ही रहता था। एक दिन जब नौशाद ने चांदनी का हाथ पकड् लिया और उससे कहना लगा कि वह उससे प्‍यार करता है, इस पर चांदनी ने इंकार किया और कहा कि मैं तुम्‍हे से प्‍यार नहीं करती।
चांदनी का इंकार नौशाद को बर्दाश्‍त नहीं हुआ और 13 अगस्‍त को अपना बदला लेने के लिए अपने दोस्‍त के साथ चांदनी के घर घुस गया, उस वक्‍त चांदनी अकेली थी। चांदनी पर कैरोसीन छिडक कर आग लगा दी। चांदनी को सफदरगंज अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने दम तोड् दिया।
इस घटना ने समाज के संवदेनशील लोगों को शर्मसार किया। मैं बहुत आहत हूं, यह घटना मर्दवादी सोच को उजागर करती है कि एक पुरूष होने के नाते उसे लड्की कैसे इंकार कर सकती है, अस्‍वीकारर्यता को स्‍वीकार न करना, उसे अपना अहम बना लेना, लड्की पर अपना हक जमाना, वह मेरी नहीं तो किसी और की भी नहीं, इसलिए उसे सबक सिखाना, अगर वह मेरी नहीं तो उसे जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं आदि, आदि।
इस क्रूर मानसिकता के चलते या तो लड्की को मार दिया जाता है, उसका बलात्‍कार किया जाता है या उस पर तेजाब डाल दिया जाता है। मैं यहां पर उस मानसिकता का उठाना चाहता हूं जो लड्कों के अन्‍दर बस रही है, पनप रही है। क्‍‍या जिसे प्‍यार करते हैं, उसके साथ हम ऐसा कर सकते हैं। बात तब और भी ज्‍यादा गंभीर हो जाती है, जब आप खुद ही मान बैठते हैं कि मैं उससे प्‍यार करता हूं और वो मेरी है। किसी पर जबरन हक जमाना क्‍या न्‍यायोचित है, क्‍या केवल हमारी ही भावनाएं है, जो हम चाहेंगे वो ही होगा।
बहुत बहस का विषय है। इस पर व्‍यापक बहस की जरूरत है।
मैंने इस विषय को बहस छेड्ने के लिए उठाया है, इस‍लिए आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार है।

2 comments:

bagi said...

lok abhyuday ka blog pur ana mere liye ak khushkhabary ki tarah hai. is andolan ki shuruaat achachhi hai.blog pur aa jane se hum pury duniya men apani bat pahuchan sakenge.
mery shubhkamnaye svukar karen.
ashok chaudhary

Jaago Re Campaign said...

अशोक जी बहुत अच्‍छा लगा। पूरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचाने के लिए शुरूआत तो कर दी है। आपके विचार व लेख बहुत अहम है इस प्रयास को आगे ले जाने के लिए। आपके विचार व लेख का इंतजार है, अपनी फोटो भी अवश्‍य भेजियेगा।