Wednesday, September 19, 2007

महिलाओं के नाम से जमीन की रजिस्ट्री में हुई बढोत्‍तरी

अनिल कुमार राय, देवरिया जिले के है, पेशे से पत्रकार हैं। समाजिक कार्यों में बढचढ कर इनकी भागीदारी रहती है। मैसवा के सक्रिय सदस्‍य हैं। इन्‍होंने देवरिया जिले में जमीन खरीदने में हो रही रजिस्‍ट़ी की खोज-पडताल की, जिसमें उन्‍हें कई चौकाने वाले तथ्‍य मिले और सबसे महत्‍वपूर्ण यह रहा है कि महिलाओं के नाम जमीने धड्ले से रजिस्‍टी की जा रही है। अनिल जी इस कदम को बहुत सकारात्‍मक देख रहे है और महिला सशक्तिरण के लिए आवश्‍यक कदम मान रहे हैं। प्रस्‍तुत है उनकी रिपोर्ट -


विगत वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के नाम से जमीन खरीदने पर रजिस्ट्री के समय स्टांप शुल्क
में दो प्रतिशत की कमी का असर दिखने लगा है। रजिस्ट्री के समय दो प्रतिशत स्टांप पेपर के कम लगने के चलते अधिकांश जमीनों के बैनामे महिलाओं के नाम होने लगे हैं। इससे महिलाएं जमीन के मामले में सशक्त होने लगी ह्रैं।
देवरिया जिले में कुल पाँच तहसीलें हैं। यहां से मिले आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2006-07 में कुल 17402 लेखपत्र हुए। इनमें बैनामा, बन्धक एवं पट्टा आदि भी शामिल है। इन लेखपत्रों में जहां 10106 महिलाओं के नाम से जमीने खरीदी गयीं वहीं सिर्फ 7296 पुरूषों के नाम लेखपत्र रजिस्टर्ड हुए। महिलाओं के नाम पर जमीन के खरीदने के चलते चार करोड़ सत्तहर लाख पैंतालिस हजार दो सौ उन्तीस रूपया स्टैंप शुल्क में छूट दिया गया। इस सत्र में चार हजार आठ सौ एक रजिस्ट्री तीन महीनों में हुईं। इनमें भी महिलाओं के नाम जहां दो हजार नौ सौ नौ रजिस्टं हुईं वहीं पुरूषों के नाम सिर्फ 1892। तीन महीनों में ही महिलाओं को 14075187 रूपया का स्टांप शुल्क में छूट दिया गया। इस तरह से 15 महीनों में 13015 महिलाओं व 9184 पुरूषों के नाम से बनामे हुए।
यहां उल्लेखनीय है कि देवरिया जिले में पुरूषों के मुकावले महिलाओं की संख्या भी अधिक है। पहले संख्या अधिक होते हुए भी महिलाओं के नाम से बहुत कम ही जमीन ली जाती थी। अब नये आदेश व 2 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट के चलते पुरूष महिलाओं के नाम से ही जमीनें खरीद रहे हैं। यहां बताते चलें कि बैनामें के दौरान पुरूषों के नाम पर 8 व महिलाओं के नाम पर 6 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगता है। इस तरह जमीन के मामले में धीरे-धीरे मजबूत होने लगी हैं। विगतवर्ष आए शासनादेश के चलते महिलाएं सशक्त होने लगी हैं। कुछ लोग तो इस आदेश को महिला सशक्तिकरण का एक बेहतर माध्यम मान रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि जब जमीन पर महिलाओं का हक होगा तो उनके उत्पीड़न व शोषण में भी कमी आएगी।
अनिल कुमार राय, देवरिया

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